- होवित्जर-मिसाइलें-रॉकेट-ड्रोन, सेना बढ़ाएगी खतरनाक हथियारों का जखीरा, जानें पूरा प्लान

रूस-यूक्रेन युद्ध की बारीकियों को समझते हुए आज का भारत अपनी सैन्य ताकत को और अधिक मजबूत करने की ओर बढ़ रहा है. दुनियां ने इस युद्ध से कुछ सीखा हो या न हो लेकिन भारत ने इसे समझते हुए अपनी नीति में बड़ा बदलाव करना शुरू कर दिया है. इसी के मद्देनजर लंबी दूरी के घातक हथियारों जखीरा हमारी फोर्सेज के पास होना बेहद आवश्यक समझा जा रहा है. तभी तो भारतीय सेना ने आर्टिलरी को आधुनिक बनाने की योजना में थोड़ा बदलाव किया है. टीवी9 को मिली जानकारी के अनुसार, सेना ऐसे हथियारों पर काम कर रही हैं जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बेहद आसान हो. सेना में ऐसी तोपें और रॉकेट सिस्टम शामिल किए जाएंगे जिनकी मोबिलिटी ज्यादा हो यानी जो एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंचाया जा सके. लंबे वक्त से ऐसी तोपों पर भरोसा किया जाता रहा है जिन्हें कैरियर की जरूरत पड़ती है लेकिन अब ऐसे सेल्फ-प्रोपेल्ड तोपें खरीदी जा रही हैं जिनके साथ यह समस्या ना हो. यानी फॉर्सज अब ऐसी तोपों पर फोकस कर रही हैं जो वजन में हल्की और किसी भी टेरेन में आ जा सके. सेना K-9 वज्र के मॉडिफाइड वर्जन का भी टेस्ट कर रही है. साथ ही लंबी युद्ध लड़ने के लिए भारी मात्रा में गोला-बारूद और जरूरत के समय घरेलू उत्पादन बढ़ाने की क्षमता होनी चाहिए. भारतीय सेना का आधुनिकीकरण का प्लान: युद्ध के हालात या दुश्मनों को कड़ी टक्कर देने के लिए और सटीक हमलों के लिए भारत पहले से ज्यादा होवित्जर, मिसाइलों और रॉकेटों के साथ-साथ लाइटर मूनिशंस, स्वार्म ड्रोन और ISR (खुफिया, निगरानी और टोही) क्षमताओं को शामिल करने जा रहा है. आर्मी की आर्टिलिरी की क्षमता कई गुना बढ़ाने की तैयारी है. लगभग 300 स्वदेशी उन्नत टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) और 300 माउंटेड गन सिस्टम (MGS) की खरीद पहले ही शुरू हो चुकी है. 155mm/52-कैलिबर गनों के लिए अनुरोध प्रस्ताव (RFP) जारी किए जा रहे हैं. सेना L&T और दक्षिण कोरियाई हान्व्हा डिफेंस के बीच जॉइंट वेंचर के जरिए 28-38 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज वाली 100 और K-9 वज्र सेल्फ-प्रोपेल्ड तोपें हासिल करने वाली है. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सैन्य टकराव के कारण K-9 वज्र को पहले ही सीमा पर तैनात किया जा चुका है. 4,366 करोड़ रुपये में शामिल की गई 100 ऐसी तोपों को ‘विंटराइजेशन किट’ के साथ तैनात किया गया है. सेना ने 3,488 किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर नई एम-777 अल्ट्रालाइट होवित्जर के साथ-साथ पुरानी बोफोर्स, ‘उन्नत’ धनुष और शारंग तोपें भी तैनात की हैं. डीआरडीओ द्वारा विकसित ATAGS को शामिल करने की दिशा में भी तेजी आई है. इसकी अधिकतम स्ट्राइक रेंज 48 किलोमीटर है. ATGS को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और भारत फोर्ज मिलकर बना रहे हैं. सेना ने 300 ATAGS का शुरुआती ऑर्डर दिया था. हालांकि, अब ऐसी कुल 1,580 तोपों के ‘और अडवांस्ड वर्जन’ को शामिल करने का प्लान है. सेना के पास ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की चार रेजिमेंट हैं.आर्मी इन्हें और बढ़ाने की योजना बना रही है. इन मिसाइलों की स्ट्राइक रेंज 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर कर दी गई है. ब्रह्मोस का 800 किलोमीटर वाला संस्करण भी विकसित किया जा रहा है. सेना को भविष्य में नई पारंपरिक (गैर-परमाणु) बैलिस्टिक मिसाइल (150 से 500 किलोमीटर की रेंज) ‘प्रलय’ भी मिलेगी. 100 ऐसी मिसाइलों के लिए शुरुआती ऑर्डर फाइनल हो गया है. सेना इन हथियारों को कर रही अपग्रेड सेना के एक बड़े अधिकारी ने टीवी9 को बताया कि फिलहाल सेना के पास 105mm के तोप हैं, जिसे अपग्रेड करके 155mm कैलिबर किया जाएगा. आपको बता दें कि, रक्षा मंत्रालय ने साल 2040 तक सेना की सभी तोपों को 155 कैलिबर का करने की योजना बनाई है. अनंतनाग में आतंकियों के तरफ से जिस तरह तरह से फायरिंग की गई उससे सबक लेते हुए सेना ने माउंटेन गन और सेल्फ प्रोपेल्ड सिस्टम गन की तादाद भी अब बढ़ाने की योजना बना ली है. आपको बता दें कि, सेल्फ प्रोपेल्ड का मतलब होता है कि इसे एक जगह से दूसरे जगह तक ले जाने के लिए दूसरे गाड़ी की जरूरत नहीं होती है. यह खुद ही एक जगह से दूसरे जगह जा सकती है.

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