- इस्राइल के पक्ष में कौन, हमास के पास किसका साथ? जानें भारत को सता रही किनकी चिंता

   नई दिल्ली इस्राइल पर आतंकी संगठन हमास के हमले से दुनियाभर में हलचल मची है। एक ओर जहां हमले के बाद कई देश इसके समर्थन या विरोध में हैं, तो वहीं भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा की चिंता है। दरअसल, हमास ने अचानक सात अक्तूबर को इस्राइल पर हमला कर दिया था, जिसमें सैंकड़ों मासूमों की जान जा चुकी है। हमास के आतंकी हमले में घायल लोगों में एक भारतीय महिला भी शामिल है। केरल निवासी महिला बीते कई वर्षों से इस्राइल में देखभालकर्ता  के रूप में काम कर रही हैं। इससे पहले 2021 में हमास के हमले में एक भारतीय घरेलू सहायिका सौम्या की मौत हो गई थी। दरअसल, बड़ी संख्या में भारतीय इस्राइल में देखभालकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं जिनकी वहां खूब मांग रहती है। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर इस्राइल में भारतीयों की सुरक्षा का मुद्दा क्या है? इस्राइल-हमास संघर्ष के बीच भारतीय देखभालकर्ता क्यों चर्चा में आए? पहले कब ऐसा हुआ है? इस्राइल-हमास के बीच अभी क्या हो रहा है? इस्राइल में भारतीयों की सुरक्षा का मुद्दा क्या है? हमास के हमले के बाद शुरू हुए संघर्ष में अब भारतीयों के सुरक्षा की चिंता भी होने लगी है। इनमें भारतीय देखभालकर्ताओं का समूह भी शामिल है जो इस्राइल में बड़ी संख्या में परिवार की देखभाल के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। इसी साल फरवरी में तेल अवीव में स्थित भारतीय दूतावास ने बताया था कि इस्राइल में लगभग 18,000 भारतीय नागरिक हैं। इनमें से अधिकतर वो भारतीय हैं जो इस्राइली बुजुर्गों की देखभाल का काम कर रहे हैं। इस बीच, इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर बातचीत हुई। इस्राइल की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए पीएम मोदी ने उनका आभार व्यक्त किया। नेतन्याहू से पीएम मोदी ने कहा कि भारत इस्राइल के साथ खड़ा है।तो इस्राइल को ही   क्यों चुनते हैं भारतीय देखभालकर्ता? इस्राइली मीडिया टाइम्स ऑफ इस्राइल ने एक रिपोर्ट में बताया कि यहां लगभग हर परिवार विदेशी देखभाल कर्मियों को काम पर रखता है, जो बूढ़े और बीमार परिजनों की देखभाल के लिए आते हैं। ये लोग भारत समेत फिलीपींस, श्रीलंका, नेपाल, 'बेकिस्तान, मोल्दोवा, यूक्रेन और अन्य देशों से होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देखभालकर्मी अपार्टमेंट में एक कमरा लेते हैं और रोजाना के हिसाब से भुगतान की मांग करते हैं।   हालांकि, इस पेशे से जुड़े लोगों को वेतन उनके देश के हिसाब से दिया जाता है। यहां एक देखभालकर्मी को करीब 1.25 लाख रुपये हर महीने भुगतान किए जाते हैं। इसके साथ ही कर्मियों का भोजन, आवास और स्वास्थ्य देखभाल का खर्च मुफ्त होता है। यदि कोई कर्मी ओवरटाइम काम करता है तो उसे अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।    अभी क्यों चर्चा में हैं देखभालकर्मी? सात अक्तूबर को सुबह करीब साढ़े छह बजे से हमास ने इस्राइल पर अचानक हमला शुरू किया। हमास ने महज 20 मिनट में पांच हजार से 'यादा रॉकेट दागे। इस हमले में केरल निवासी घरेलू सहायिका शीजा आनंद भी घायल हो गईं।  इस्राइल पर हमास के हमले के बाद शीजा ने केरल में रह रहे अपने परिवार से बात कर अपने सुरक्षित होने की जानकारी दी थी, लेकिन बातचीत के दौरान ही उसका फोन कट गया। बाद में इस्राइल में ही रहने वाले केरल के एक निवासी ने शीजा के परिवार के बताया कि हमले में शीजा घायल हो गई हैं और उनका एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनकी एक सर्जरी हो चुकी है और दूसरी सर्जरी जल्द होनी है। शीजा आनंद बीते आठ सालों से इस्राइल में रहकर एक परिवार की देखभाल का काम कर रही हैं।    पहले कब ऐसा हुआ हैइससे पहले मई 2021 में इस्राइल में काम करने वाली केरल की सौम्या की एक रॉकेट हमले में मौत हो गई। तब उनके परिवार के सदस्यों ने बताया था कि अश्केलोन शहर में &1 वर्षीय सौम्या के घर पर रॉकेट गिरा, जब वह शाम को वीडियो कॉल पर केरल में अपने पति संतोष से बात कर रही थीं। संतोष के भाई साजी ने बताया था, मेरे भाई ने वीडियो कॉल के दौरान जोर की आवाज सुनी। अचानक फोन कट गया। फिर हमने तुरंत वहां काम कर रहे अन्य मलयाली लोगों से संपर्क किया। इस तरह हमें घटना के बारे में पता चला।  दोनों घटनाओं में एक ही बात दिखी कि दोनों महिलाएं परिवार की देखभाल का काम कर रही थीं। सौम्या के रिश्तेदारों ने बताया था कि इडुक्की जिले के कीरिथोडु की रहने वाली सौम्या पिछले सात वर्षों से इस्राइल में एक घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही थीं।  इस बीच, इस्राइल-हमास संघर्ष में भारतीयों की जान की सुरक्षा की चिंता की जा रही है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग भी की है। इस्राइल के समर्थन में बड़े देश कौन? इससे पहले हमास द्वारा किए गए रॉकेट हमलों पर भारत, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, यूएई, ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों ने इस्राइल का साथ दिया है। एकजुटता व्यक्त करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत की संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीडि़तों और उनके परिवारों के साथ हैं।  पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, 'इस्राइल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीडि़तों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इस्राइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।  हमास की तरफ कौन-कौन है? इस्राइल पर हमले के बाद ईरान, कतर और लेबनान, कुवैत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित कई अन्य देश फलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास का समर्थन कर रहे हैं। इसके साथ ही कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने किसी के साथ नहीं दिया बल्कि दोनों पक्षों से हिंसा रोकने की बात कही है। हिंसा में लिपटा यूक्रेन इन देशों में शामिल है।

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